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2 Sep 2024 · 1 min read

खेल

खेल
अब जुआ सा लगने लगा है खेल
एक देना है दस लेना है
बस इसी में उलझ गया है देश
अब शरीफों का न रह गया खेत
जो जीते वह पाये जो हारे वह खोए
यही कश्म कस मे रह गया है खेल

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