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29 Mar 2021 · 1 min read

खेलूं कलम से होरी

? जय मां शारदे?
————————

खेलूं कलम से होली फाग में, खेलूं कलम से होरी !
खेलूं कलम से होरी !!

अंतर्मन–मंदिर से निकसी
सजकर ‘रचना’ गोरी !
भा गई है मेरे मन को
जिसकी सूरत भोरी !
आज कलम की पिचकारी से
अंगिया भिगो दूं तोरी… आज मैं खेलूं कलम से होरी !!

करुण व हास्य गुलाल मिला दूं,
प्रेम के सागर में !
रस श्रृंगार से रंग बना दूं
कागज की गागर में !
अलंकार के अस्त्र निकालूं
व्यंग्यबाण की गोली… आज मैं खेलूं कलम से होरी !!

दो आशीष शारदे मां अब
सफल साधना कर दो,
करूं सदा साहित्य साधना
अम्ब विमल मति भर दो,
ज्ञानदायिनी नवल ज्ञान से
भर दो मेरी झोरी… आज मैं खेलूं कलम से होरी !!

– नवीन जोशी “नवल”
बुराड़ी, दिल्ली

(स्वरचित एवं मौलिक)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 4 Comments · 742 Views
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