खूब उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
खूब उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
बेचैनियां बढ़ी अनसुने सवालों में।।
तुम्हें मुबारक रंगीन महफिलें नदीम,
मैं खुश हूँ महकते पसीने छालों में।।
—- ननकी 01/08/2024
खूब उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
बेचैनियां बढ़ी अनसुने सवालों में।।
तुम्हें मुबारक रंगीन महफिलें नदीम,
मैं खुश हूँ महकते पसीने छालों में।।
—- ननकी 01/08/2024