खुश होना नियति ने छीन लिया,,
खुश होना नियति ने छीन लिया,,
सबके बिन रहना सीख लिया,,
शक का कोई इलाज नही ,,
तेरे बाद कोई आस नही,,,
हर कही बात याद है,,
तेरा मुहँ मोड़ना भी याद है,,
दिन महीना साल भूल जाती हूँ अक्सर,,,
बस इसे छोड़कर,
कि हर रूप मे तू अब भी साथ है,,,,
प्यार होता तो मिलता पहली दफा ,,
मिली हर मोड़ पर नफरत मुझे,,
नही अब प्यार की प्यास है,,,,
हर सबाल अपने भीतर दफन कर रही हूँ,,
कैद खुद को इन दीवारो मे कर रही हूँ,,,
यूँ तो तू मुझसे जुदा रहा नही कभी,,,
ये सबाल तेरे लिए,,,
मेरी जिंदगी मे सिर्फ तू ही शामिल क्यों है।।