खुश रहना
बस खुश रहना
तुम वही करना जो तुम्हें अच्छा लगे
हंसती मुस्कुराती हुई रहना
और मेरे बारे में
कभी मत सोचना
मेरे बारे किसी से भी
कोई बात न करना
कोई कुछ पूंछे तो हंसकर टाल देना
ज्यादा पीछे पड़े तो कह देना कि पागल था
ज़माने की लगातार चोटों से
ज़ख्मी था घायल था
इक आंधी सा आया था
तूफान सा चला गया
हल्के हल्के जख्मों के
निशान सा चला गया
बिखरा था टूटा था
खुद से ही रूठा था
बुद्धू था पागल था
अपनों से घायल था
आसमां में उड़ते विहान सा चला गया
हर बात में टोकता था
हर राह पे रोकता था
लड़ता था झगड़ता था
हर बात पे अकड़ता था
सूरज के उगते ही रात सा चला गया
खुद रोज रूठ जाता था
मैं रूठूं तो मनाता था
सुबह से रात तलक
जान मेरी खाता था
अच्छा हुआ आखिरी सांस सा चला गया।