खुशी
खुशी
नाम सुनते ही उसकी चमकती आँखे सामने आ जाती है | 2-3 साल पहले पापा मुझे छोड़ने इलाहाबाद आ रहे थे| मुझे बस स्टाप पर बैठाकर किसी काम से अपने ऑफिस चले गये| उस भीड़-भाड़ वाली जगह पर मैं अकेला महसूस न करुँ इसलिये मैं मोबाइल में व्यस्त होने की कोशिश करने लगी तभी सलवार कमीज पहनी हुयी एक 7-8 साल की बच्ची हाथ आगे करते हुए बोली, “दीदी”
मैने उपर देखा, उसके चेहरे पर मुस्कराहट थी |
मैंने मुस्कराते हुये कहा, मेरे पास तो बिल्कुल भी पैसे नहीं है|
जैसे की मेरी आदत है जब कोई काम न हो तो मैं अपने पास पैसे नहीं रखती|
प्रश्नवाचक दृष्टि मेरी ओर डाली और बोली “नहीं है?”
मैंने न में सिर हिला दिया
“कोई बात नहीं दीदी”, बड़ी अात्मीयता से मुस्कराते हुये बोली और मेरे मोबाइल में झुककर झांकने लगी|
मैने नाम पुछा तो चहककर बोली “खुशी”
मैंने पुछा,
मिठाई खाओगी खुशी?
उसने फिर प्रश्नवाचक दृष्टि मेरी ओर डाली और बोली,
“है ?”
मैने हाँ में सिर हिलाया |
उसने कहा,
“हाँ”
मिठाई खाते हुये वह मेरे बगल में आकर बैठ गयी और बोली दीदी कहाँ जा रही हैं?
मैने कहा
इलाहाबाद जा रही हूँ पढ़ने, तुम पढ़ने नहीं जाती हो?
इतना सुनते ही वह मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी और कहने लगी,
मुझे पढ़ना नहीं आता है इसीलिये मैं स्कूल नहीं जाती
“जाओगी स्कूल तो पढ़ना आ जायेगा”, मैने कहा
नहीं मुझे कुछ भी नहीं आता है| जैसे क, ख, ग, घ होता है न? इसके आगे का मुझे नहीं आता है
वह इतना जोर-जोर से बोल रही थी जैसे झूठ को सच साबित करना चाह रही हो|
मैने कहा
स्कूल में टीचर बताते हैं की क, ख, ग, घ के बाद क्या आता है तुम जाओगी तो सीख जाओगी
वह बोली,
सीख जाऊँगी?
मैंने कहा, “हाँ”
ठीक है दीदी मैं जाऊँगी| यहीं पीछे है मेरा स्कूल| मैं पहले जाती थी| मुझे गिनती, क, ख, ग, घ और A, B, C, D भी आती है
इसके बाद वह लगातार बोलती रही, सहेलियों के बारे में, टीचर के बारे में, अपनी छोटी बहन छोटी के बारे में और भी ढ़ेर सारी बातें
फिर बोली,
दीदी आप छोटी के लिये भी मीठाई दे दीजिये मैं जा रही हूँ छोटी अकेली है, खाना भी बनाना है
मैने पूछा,
तुम्हारी मम्मी?
मम्मी सुबह सबके घर बर्तन मांजने जाती हैं अभी वो सामने जो घर बन रहा है वहाँ ईंट ढ़ोने जाती हैं पहले पापा भी वहीं काम करते थे | उनके उपर दीवार गिर गयी तो उनका एक हाथ काट दिया गया, पैर में भी चोट लगी है चल भी नहीं पाते| मम्मी जो पैसा लाती हैं उससे पापा की दवाई आती है और मुझे जो मिल जाता है मैं छोटी को दूध ले जाती हूँ
बड़ी मासूमियत से वह बोले जा रही थी और मैं बस उसे देख रही थी |
अभी जिसे मैं पढ़ने की सीख देना अपनी जिम्मेदारी समझ रही थी उससे कहीं बहुत बड़ी जिम्मेदारी वह निभा रही थी
फिर बोली,
दीदी मैं जाऊँ, छोटी रो रही होगी
मै मिठाई का डब्बा उसे थमाते हुये बोली,
हाँ जाओ
उसने कहा,
नहीं दीदी बस एक चाहिये
मैने कहा
मेरे पास और है
वह चली गयी मैं जाते हुये उसे देखती रही| पापा आये, हम बस में बैठे| जब बस चलने लगी, मुझे लगा मेरा कुछ छूट गया है बस स्टाप पर| मैं शायद उससे फिर कभी नहीं मिल पाऊँगी, यह सोचकर मेरा दिल बैठा जा रहा था| मैं वापस जाना चाहती थी, उसे गले लगाना चाहती थी|
वह मुझे भूल गयी होगी, पर मैं जब भी उस बस स्टाप पर जाती हूँ ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ
काश वह कहीं दिख जाये|
अबकी बार स्कूल जाते हुएI