=== खुशी ===
खुशी एक ऐसा अनोखा एहसास है जो व्यक्ति की आंतरिक इच्छा से जुड़ा होता है।
यदि मन में उमंग है /ललक है/ जीने की चाह है /उत्साह है तो चारों ओर खुशी है/ प्रफुल्लता है/ महक है /चहक है /प्रकाश है/ प्रसन्नता है /उल्लास है।
अन्तर्मन की वाणी केवल हमें ही सुनाई देती है। यदि उसमें ठहराव है, स्थिरता है और शांति की अनुभूति है तो हम हर परिस्थिति का मुकाबला सहज ही और खुशी – खुशी कर लेते हैं। चाहे फिर वह पहाड़ की तरह भीषण विकराल गूढ़ समस्या ही क्यों न हो। अन्तःकरण की खुशी इस विकटतम पल को क्षणभर में हल्का फुल्का बना देती है।
यदि अंतस में खिन्नता है/ दिलो दिमाग में उथल-पुथल है/ मस्तिष्क में अस्थिरता है/
हृदय में बेचैनी है / भावार्थ यह है कि कुल मिलाकर खुशी हमसे कोसों दूर है। ऐसी स्थिति में बनता काम भी बिगड़ने के आसार नजर आने लगते हैं।
-खुशी वह टानिक है जो मन को हल्का कर देती है।
-खुश वह ताकत है जो तन को स्फूर्ति प्रदान करती है।
-खुशी वह हिम्मत है जो पर्वत को राई बना देती है।
-खुशी वह शक्ति है जो निर्बल को सबल बनाने का दम रखती है।
-खुशी वह नेमत है जो जितनी बांटी जाए कम है।
-खुशी वह आशीष है जो ईश्वर अपने सब प्यारे भक्तों को उपहार में देते हैं।
अब कौन इसका कितना सदुपयोग करता है यह व्यक्ति व्यक्ति पर निर्भर करता है।खुशी का सदुपयोग गुणकारी है तो इसकी महत्ता न समझ पाना हानिकारक।
जिन्दगी में जो भी आप के पास है /आपको हासिल है /आप की पंहुच में है/आपको मिल सकता है /मिलने वाला है उसमें खुश रहें, सदा मुस्कराएं, सकारात्मक सोच रखें। छोटी छोटी बातों में खुशियां तलाशें। उसे महसूस करें। औरो को भी महसूस कराएं। तो आइए खुशियाँ बाँटें खुशियाँ ही लुटाऐं। जितनी खुशियाँ आप दूसरों को देंगे ईश्वर उसकी सौगुनी खुशियाँ आपको बदले में देगा क्योंकि उस दाता का खजाना एक के बदले सौ का हिसाब करता है। उसका गणित बहुत तगड़ा है। सदा खुश रहिए यही शुभकामनाएं हैं।
-रंजना माथुर दिनांक 14/11/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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