खुशियों का मौसम
खुशियों का मौसम यहाँ, रहता है दिन चार
करती है फिर जिन्दगी, बस दुख का व्यापार।१।
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खुशियों का मौसम नहीं, पाता है हर एक
इसको किस्मत साथ ही, रहें कर्म भी नेक।२।
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खुशियों का मौसम अगर, आ जाये निज द्वार
हर घर उसको बाँट कर, देना तुम विस्तार।३।
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राजपथों के जाल में, उलझ विकास के पाँव
खुशियों का मौसम लिए, पहुँच न पाये गाँव।४।
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खुशियों का मौसम लिए, महल मौज में खूब
बेबस अब तक झोपड़ी, यहाँ कर्ज में डूब।५।
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खुशियों का मौसम रहा, जिस जन्नत से दूर
अब बदले इस वक्त में, वो पाये भरपूर।६।
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