Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2020 · 1 min read

” खुशियाँ लिये अपार ” !!

नेह निमंत्रण भेजे तुमने ,
हैं पलकों के द्वार !
भाग जगे हैं मेरे या फिर ,
कहूँ इसे उपकार !!

तुम तो हिम्मत वाली निकली ,
मैं थोड़ा बुजदिल ठहरा !
तोड़ न पाया , तटबन्धों को ,
यहाँ वक्त का है पहरा !
करती रहती हो किलोल तुम ,
मैं बैठा इस पार !!

मदिर गंध के झोंके आते ,
पल पल महका जाते हैं !
याद सदा आँखों में सरसे ,
खुद को बहका पाते हैं !
तुम बैठी श्रृंगार कर रही ,
खुशियाँ लिये अपार !!

मैंने खुद को बांध लिया है ,
तुम्हें अंक में पाना है !
दिखने को हम दो दिखते हैं ,
हमें एक हो जाना है !
मेरा मन भी है उतावला ,
लिये हाथ उपहार !!

कैनवास पर छवि जो बिखरी ,
उसमें छवि निहारूँ मैं !
दबे पाँव आती हो ऐसे ,
सपनों बीच पुकारूँ मैं !
रंग भरा जीवन में तुमने ,
देकर के गलहार !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 322 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
due to some reason or  excuses we keep busy in our life but
due to some reason or excuses we keep busy in our life but
पूर्वार्थ
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
शेखर सिंह
आधुनिक समाज (पञ्चचामर छन्द)
आधुनिक समाज (पञ्चचामर छन्द)
नाथ सोनांचली
शक्कर की माटी
शक्कर की माटी
विजय कुमार नामदेव
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
Anil Mishra Prahari
* शक्ति स्वरूपा *
* शक्ति स्वरूपा *
surenderpal vaidya
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
*जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल (हास्य कुंडलिया)*
*जाने कैसा रंग था, मुख पर ढेर गुलाल (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कूड़े के ढेर में
कूड़े के ढेर में
Dr fauzia Naseem shad
सेल्फी जेनेरेशन
सेल्फी जेनेरेशन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आजकल गरीबखाने की आदतें अमीर हो गईं हैं
आजकल गरीबखाने की आदतें अमीर हो गईं हैं
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
*होलिका दहन*
*होलिका दहन*
Rambali Mishra
सुबह वक्त पर नींद खुलती नहीं
सुबह वक्त पर नींद खुलती नहीं
शिव प्रताप लोधी
The Hard Problem of Law
The Hard Problem of Law
AJAY AMITABH SUMAN
ना दे खलल अब मेरी जिंदगी में
ना दे खलल अब मेरी जिंदगी में
श्याम सिंह बिष्ट
"लाठी"
Dr. Kishan tandon kranti
हीरा जनम गंवाएगा
हीरा जनम गंवाएगा
Shekhar Chandra Mitra
है वही, बस गुमराह हो गया है…
है वही, बस गुमराह हो गया है…
Anand Kumar
चिंगारी के गर्भ में,
चिंगारी के गर्भ में,
sushil sarna
2994.*पूर्णिका*
2994.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चाँद
चाँद
लक्ष्मी सिंह
बीज
बीज
Dr.Priya Soni Khare
जिंदगी जब जब हमें
जिंदगी जब जब हमें
ruby kumari
हिंदू सनातन धर्म
हिंदू सनातन धर्म
विजय कुमार अग्रवाल
हिंदुस्तान जिंदाबाद
हिंदुस्तान जिंदाबाद
Aman Kumar Holy
के श्रेष्ठ छथि ,के समतुल्य छथि आ के आहाँ सँ कनिष्ठ छथि अनुमा
के श्रेष्ठ छथि ,के समतुल्य छथि आ के आहाँ सँ कनिष्ठ छथि अनुमा
DrLakshman Jha Parimal
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
वो कहते हैं की आंसुओ को बहाया ना करो
वो कहते हैं की आंसुओ को बहाया ना करो
The_dk_poetry
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
हमारी संस्कृति में दशरथ तभी बूढ़े हो जाते हैं जब राम योग्य ह
हमारी संस्कृति में दशरथ तभी बूढ़े हो जाते हैं जब राम योग्य ह
Sanjay ' शून्य'
Loading...