“ खुले लम्हों “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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मुक्त हो गया ,
आज़ाद हो गया ,
खुले लम्हों का ,
एहसास हो गया !
बन्दिशें हर घड़ी ,
सही नहीं जाती ,
घुटन देर तक ,
रोकी नहीं जाती !!
बन्दिशें हर घड़ी ,
सही नहीं जाती ,
घुटन देर तक ,
रोकी नहीं जाती !!
सही जीने का ,
आभास हो गया ,
खुले लम्हों का ,
एहसास हो गया !!
भूख की ज्वाला ,
धधक रही थी ,
बच्चे ,बुड्ढे, स्त्रियाँ ,
जल रहीं थीं !!
भूख की ज्वाला ,
धधक रही थी ,
बच्चे ,बुड्ढे, स्त्रियाँ ,
जल रहीं थीं !!
जीकर मरने का ,
इंतजाम हो गया ,
खुले लम्हों का ,
एहसास हो गया !!
धर्म युद्धों में ,
सदा बंटता रहा ,
एक दूसरे से ,
सदा भिड़ता रहा !!
धर्म युद्धों में ,
सदा बंटता रहा ,
एक दूसरे से ,
सदा भिड़ता रहा !!
भाषा विवाद सबका ,
विवादित हो गया ,
खुले लम्हों का ,
एहसास हो गया !!
गान शासक का ,
आखिर क्यों करें ,
प्यार से आभार ,
आखिर क्यों करें ?
गान शासक का ,
आखिर क्यों करें ,
प्यार से आभार ,
आखिर क्यों करें ?
जनमानस दुखों से ,
निराश हो गया ,
खुले लम्हों का ,
एहसास हो गया !!
हिंसा ,लूट, धोखा ,
में कौन रहेगा ,
राम राज्य स्वप्न ,
पूरा कौन करेगा ?
हिंसा ,लूट, धोखा ,
में कौन रहेगा ,
राम राज्य स्वप्न ,
पूरा कौन करेगा ?
इन वादों से ,
परेशान हो गया ,
खुले लम्हों का ,
एहसास हो गया !!
मुक्त हो गया ,
आज़ाद हो गया ,
खुले लम्हों का ,
एहसास हो गया !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
05 .10 ॰2021