खुरदरे हाथ
मेरे आँगन में उग आया
एक नन्हा-सा पौधा
बड़ी नाजुक कोंपलों वाला
कच्चे-कच्चे हरे रंग की
छोटी-छोटी पत्तियों वाला
उसकी जड़ों में उगी घास को उखाड़ते
मेरे हाथ
छिल-छिल जाते
उसके नीचे की
मिट्टी को नरम करते
खोदते
खाद डालते मेरे हाथ
फट-फट जाते
यहाँ तक कि
लहू-लुहान हो जाते
फिर भी मैंने
उस पौधे से
कभी शिकायत नहीं की
बस……..
चुपचाप उसे बढ़ता देखती रही।
उसका ऊँचा होता कद
उसका बदलता रंग देख
खुश होती रही
मुझे लगता
मैं कामयाब हूँ।
आज वही पौधा
बड़ा हो गया है
धूप तेज़ हो गई है
मेरी अंगुलियों के पौर
दुखने लगे हैं
फटे हाथों के ज़ख़्मों पर
फर्टीलाइजर नमक-सा लगता है
जब मैं यह देखती हूँ
कि वह घना छायादार पेड़
मेरे घर के आँगन की
दीवार पर झुककर
पड़ोसी के आँगन में
छाया करने लगा है
मेरे हाथ खुरदरे
और खुरदरे
और भी खुरदरे होने लगे हैं