खुबसूरत सपने
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@@@@@ (((खुबसूरत सपने))) @@@@@@
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ये लड़की..भी पता नहीं अपनी जिम्मेदारी कब समझेंगी ?सुरज सर पे चढ़ने को आया और महारानी अभी तक सो रही है ….मां ने डांटते हुए खिड़की का पर्दा सरका दिया !! अचानक तेज धुप ने जब माही के चेहरे पर जैसे ही अठखेलियां की…कसमसा कर माही ने करवट बदलने की नाकाम सी कोशिश की ..पर मां ने मुस्कुराते हुए फुर्ती से चादर खींच दी ….
सोने दो ना मां प्लीज़…….! चल उठ कालेज को देर हो रही है….मां ने प्यार से डांटा । माही उठकर मां से लिपट गई ।
ओ माई गॉड..! टाइम देखते ही उठकर वाशरूम की ओर भागी फटाफट तैयार हुई और कालेज के लिए निकल गई ।
माही ने इसी साल फस्ट ईयर में एडमिशन लिया था । खुबसूरत तो थी ही साथ ही पढ़ाई व सोसल एक्टिविटी में भी सबसे आगे रहने …और अपने मिलन सार व्यक्तित्व हंसमुख स्वभाव के कारण बहुत जल्द ही दोस्तों व कालेज में काफी लोकप्रिय हो गई थी।
माहीइइइइइ….. क्लास रुम की ओर बढ़ते हुए माही ने आवाज की दिशा में पलट कर देखा …रुबी उसे पुकारते हुए पास आ रही थी । माही… वो सत्या है ना …! वह तुझे पुछ रहा था…!! ” सत्या “सेकेंड ईयर का छात्र था सारे कालेज व लड़कियों में सबसे लोकप्रिय और होनहार छात्र .. मगर अपने आप में ही मस्त रहने वाला लड़का था । माही से भी हाय- हैलो से अधिक कभी बात नहीं हुई थी ।क्या बात होगी….? सोचते हुए क्लास रुम की ओर बढ़ गई ।
हाए माही…..कहते हुए सत्या पास आ कर रुका ।अगले दो पीरियड फ्री होने की वजह से माही लायब्रेरी की तरफ जाने की सोच ही रही थी की सत्या ने आकर पुछा… माही….क्या तुम अभी फ्री हो… ? मुझे तुमसे कुछ बातें करनी हैं अगर तुम फ्री हो तो….? हां सत्या कहो क्या कहना चाहते हो….!!
माही… आज से पहले हम दोनों के बीच हाए..हैलो से ज्यादा कोई बात भी नहीं हुई है और आज अचानक सोच तो रही होगी की मैं क्या कहना चाहता हूं
और नहीं तुम मुझे पुरी तरह से जानती हो ! फिर भी मेरी बात पर किस तरह रिएक्ट करोगी …मै नहीं जानता ।पर मुझे लगा की तुमसे बात करना चाहिए …इस लिए तुमसे साफ-साफ बता देना ही उचित लगा …. माही मैंने जबसे तुम्हें देखा है … तबसे हर पल तुम्हें ही जानने की कोशिश की है और तुम्हें अत्यधिक पसंद करने लगा हूं । और तुमसे शादी करना चाहता हूं अगर तुम्हें ऐतराज ना हो तो…. ?
अचानक ही सत्या की बात सुनकर सन्न रह गई …..कुछ समझ नहीं आया की क्या कहे ! फिर अपने-आप को संभाल कर कहा … सत्या मुझे पता है की तुम अच्छे और होनहार लड़के हो…. तुम्हारा इस तरह बेझिझक प्रपोज करना मुझे अच्छा लगा…और मुझे इनकार भी नहीं है …. परंतु सत्या तुम जानते ही होंगे की मैं एक मिडिल क्लास लड़की हूं … और मेरे कुछ सपने जो मेरे परिवार …. मेरे माता-पिता से भी जुड़े हुए हैं हमारे पेरेंट्स ने अपनी छोटी बड़ी हर खुशी को त्याग कर हमें इस लायक बनाया है …..की हम उनके सपनों को आकार दे सकें …हमारे सपने पुरा करने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है। अतः वही मेरे लिए सर्वोपरी हैं। अतः ग्रेजुएशन पुर्ण होने तक अन्य बातों का मेरे लिए कोई मायने नहीं है। हां… ग्रेजुएशन पुर्ण होने के बाद तुम मेरे पेरेंट्स से शादी की बात कर सकते हो ।अगर उनकी सहमति हुई तो मुझे तुम्हारी जीवन संगिनी बनने से कोई एतराज़ नहीं होगा।
शब्द जाने कहां खो गए….यकायक कुछ कह न सका…. बड़ी मुश्किल से खुद को संभाल कर बोला….
माही आज के इस दौर में तुम्हारे इन विचारों ने मेरा इरादा और भी मजबूत कर दिया है। तुमसे भी कहीं अधिक खुबसूरत तुम्हारे विचार हैं। काश…..! सभी तुम्हारी तरह सोचते…. शब्द भी मेरा साथ छोड़ते जा रहे हैं… तुम्हारी तारीफ़ के लिए शब्द ही नहीं मिल रहे हैं…और जो मिल रहे हैं वो …….तुम्हारी ऊंचाईयों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं
शब्द भी तुम्हारे विचारों के आगे बौने हो गए हैं।बस इतना ही कहुंगा ” मुझे गर्व है अपनी पसंद पर …..जैसा तुमने कहा वैसा ही होगा …मुझे बड़ी बेसब्री से इंतज़ार रहेगा उस पल का….! तभी माही ने देखा .. सत्या की आंखों से कोई मोती गालों पर आया और सत्या का सच बयां कर कहीं विलीन हो गया । पर माही की आंखों में भी एक नया सपना जगा गया……! इंतजार का खुबसूरत सपना……!!
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” गौतम जैन “