खुद ही
“`खुद ही खंजर मारकर खुद ही मरहम लगाते हो ,
खुद रुला कर खुद ही मेरे आंसूओं को पोछ जाते हो ,
ये कैसा इश्क़ है क्यों खेलते हो मेरे जज्बातों से ,
खुद गलती करते हो और इल्ज़ाम हम पे लगा जाते हो“` ।
“`वेखॉफ शायर:-
राहुल कुमार सागर
“बदायूंनी”“`