*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए
युद्ध अपने आप से, लड़ना भी आना चाहिए
2
दासत्व मत अपनाइए, अपनी व्यवस्था का स्वयं
कुछ तो नई पगडंडियॉं, हर दिन बनाना चाहिए
3
हो सात पीढ़ी के लिए, धन बाप-दादा का भले
अपने हुनर से व्यक्ति को, फिर भी कमाना चाहिए
4
संबंध कैसे टिक सकेंगे, सौ बरस तक के लिए
ब्याह-शादी में तो भरसक, आना-जाना चाहिए
5
कब समय पर आए नेता, और अधिकारी कभी
कार्यक्रम में सोचकर, इन को बुलाना चाहिए
6
नूतन-पुरातन कुछ बुरा-अच्छा नहीं संसार में
जो भी उचित है वह चलन, सबको चलाना चाहिए
7
आपके हाथों में कब तक, टिक सकेगा यह हुनर
अब नई पीढ़ी को भी, यह सब सिखाना चाहिए
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 999 761 5451