”खुद ही खुद में तलाश कर”
कविता-04
मन शांत सा होकर भी ,
लड़ रहा हूं दिल से ।
मैं खुद से ही मिल कर,
खुद में ही अलग हो गया हूं।
कोई आकर बैठे, पास मेरे,
तो हाल-ए-दिल अपना बताऊं।
मैं चुप सा बैठा हूं यहीं पर,
खुद के इन्तजार में।
मन की दहलीज पर हैं खुशियां,
मगर दिल भटक रहा कहीं पर।