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18 Jun 2024 · 1 min read

खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं…!!

अक्सर रातों में मिलता हूँ खुद से अकेले में,
दिल की दिल से सुनता हूँ.. जज़्बातों के घेरे में !

अब इन अंधेरों से डर नहीं लगता,
किसी भी दौर में निकल पड़ता हूँ रातों में अकेले ही !

चेहरा खामोश.. मन में गहरा शोर
खुद के सवालों में उलझा रहता हूँ, गुमनामी के अँधेरे में !

कभी खुद के इश्क़ में रहता हूँ,
खुद के एहसासों को निचोड़ता हूँ,
फिर उन्हें शब्दों में पिरोता हूँ !

रातें छोटी लगने लगती है ज़ब
मैं जज़्बातों को लफ्ज़ो से संजोता हूँ !

लोगों से अपने दर्द जाहिर करने से बहुत कतराता हूँ मैं,
खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं…!!

❤️ Love Ravi ❤️

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 25 Views
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