Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jun 2024 · 1 min read

खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं…!!

अक्सर रातों में मिलता हूँ खुद से अकेले में,
दिल की दिल से सुनता हूँ.. जज़्बातों के घेरे में !

अब इन अंधेरों से डर नहीं लगता,
किसी भी दौर में निकल पड़ता हूँ रातों में अकेले ही !

चेहरा खामोश.. मन में गहरा शोर
खुद के सवालों में उलझा रहता हूँ, गुमनामी के अँधेरे में !

कभी खुद के इश्क़ में रहता हूँ,
खुद के एहसासों को निचोड़ता हूँ,
फिर उन्हें शब्दों में पिरोता हूँ !

रातें छोटी लगने लगती है ज़ब
मैं जज़्बातों को लफ्ज़ो से संजोता हूँ !

लोगों से अपने दर्द जाहिर करने से बहुत कतराता हूँ मैं,
खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं…!!

❤️ Love Ravi ❤️

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 117 Views

You may also like these posts

"ताकीद"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य की खोज
सत्य की खोज
MEENU SHARMA
यह जिंदगी मेरी है लेकिन..
यह जिंदगी मेरी है लेकिन..
Suryakant Dwivedi
हम गांव वाले है जनाब...
हम गांव वाले है जनाब...
AMRESH KUMAR VERMA
- निश्चय करना निश्चित है -
- निश्चय करना निश्चित है -
bharat gehlot
आप देखो जो मुझे सीने  लगाओ  तभी
आप देखो जो मुझे सीने लगाओ तभी
दीपक झा रुद्रा
दोहे
दोहे
गुमनाम 'बाबा'
बेटियां।
बेटियां।
Taj Mohammad
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
2588.पूर्णिका
2588.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्रेम मे सबसे  खूबसूरत  चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
प्रेम मे सबसे खूबसूरत चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
Dhananjay Kumar
पाँच मिनट - कहानी
पाँच मिनट - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कलयुग की छाया में,
कलयुग की छाया में,
Niharika Verma
"अपना"
Yogendra Chaturwedi
😢अलविदा ताई जी😢
😢अलविदा ताई जी😢
*प्रणय*
दूध, दही, छाछ, मक्खन और घी सब  एक ही वंश के हैं फिर भी सब की
दूध, दही, छाछ, मक्खन और घी सब एक ही वंश के हैं फिर भी सब की
ललकार भारद्वाज
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
ग़ज़ल _ मंज़िलों की हर ख़बर हो ये ज़रूरी तो नहीं ।
ग़ज़ल _ मंज़िलों की हर ख़बर हो ये ज़रूरी तो नहीं ।
Neelofar Khan
ज़िंदगी पर यक़ीन आ जाता ,
ज़िंदगी पर यक़ीन आ जाता ,
Dr fauzia Naseem shad
मनमुटाव अच्छा नहीं,
मनमुटाव अच्छा नहीं,
sushil sarna
-कुण्डलिया छंद
-कुण्डलिया छंद
पूनम दीक्षित
10 अस्तित्व
10 अस्तित्व
Lalni Bhardwaj
उसे किसका ख्वाब दिखाऊं
उसे किसका ख्वाब दिखाऊं
Harshit Nailwal
गुरुवर अनंत वाणी
गुरुवर अनंत वाणी
Anant Yadav
ख़ुश-कलाम जबां आज़ के दौर में टिक पाती है,
ख़ुश-कलाम जबां आज़ के दौर में टिक पाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िन्दगी  से  आस  रखिये और चलिये।
ज़िन्दगी से आस रखिये और चलिये।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
रिस्क लेने से क्या डरना साहब
रिस्क लेने से क्या डरना साहब
Ranjeet kumar patre
*मरने का हर मन में डर है (हिंदी गजल)*
*मरने का हर मन में डर है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
पूछो हर किसी सेआजकल  जिंदगी का सफर
पूछो हर किसी सेआजकल जिंदगी का सफर
पूर्वार्थ
Loading...