*खुद पर थोड़ी दया कर*
खुद पर थोड़ी दया कर
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खुद पर थोड़ी दया कर,
सच को थोड़ा बया कर।
बेशरमी क्यों सिर बांधी,
बेगैरत मत हया कर।
भूली बिसरी कहानी,
बातें आया गया कर।
बीते पल कुछ भी न देंगे,
कुछ तो थोड़ा नया कर।
मनसीरत जान मन की,
मन से मन की जया कर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)