Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2023 · 1 min read

खुद को संवार लूँ…. के खुद को अच्छा लगूँ

खुद को संवार लूँ…. के खुद को अच्छा लगूँ
दुनिया को लगूँ न लगूँ… परवाह नहीं
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

253 Views

You may also like these posts

ये जिंदगी गुलाल सी तुमसे मिले जो साज में
ये जिंदगी गुलाल सी तुमसे मिले जो साज में
©️ दामिनी नारायण सिंह
मैं - बस मैं हूँ
मैं - बस मैं हूँ
Usha Gupta
अपनी भूलों से नहीं,
अपनी भूलों से नहीं,
sushil sarna
डर हक़ीक़त में कुछ नहीं होता ।
डर हक़ीक़त में कुछ नहीं होता ।
Dr fauzia Naseem shad
*बहुत कठिन डगर जीवन की*
*बहुत कठिन डगर जीवन की*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जीने नहीं देती दुनिया,
जीने नहीं देती दुनिया,
पूर्वार्थ
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
gurudeenverma198
एक छोटा सा दर्द भी व्यक्ति के जीवन को रद्द कर सकता है एक साध
एक छोटा सा दर्द भी व्यक्ति के जीवन को रद्द कर सकता है एक साध
Rj Anand Prajapati
#आंखें_खोलो_अभियान
#आंखें_खोलो_अभियान
*प्रणय*
यारो ऐसी माॅं होती है, यारो वो ही माॅं होती है।
यारो ऐसी माॅं होती है, यारो वो ही माॅं होती है।
सत्य कुमार प्रेमी
ज़िन्दगी! कांई कैवूं
ज़िन्दगी! कांई कैवूं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मोहब्बत ने आज हमको रुला दिया
मोहब्बत ने आज हमको रुला दिया
Jyoti Roshni
नई पीढ़ी
नई पीढ़ी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
Dr. Man Mohan Krishna
ಬನಾನ ಪೂರಿ
ಬನಾನ ಪೂರಿ
Venkatesh A S
हमारे दुश्मन सारे
हमारे दुश्मन सारे
Sonam Puneet Dubey
🌷🌷  *
🌷🌷 *"स्कंदमाता"*🌷🌷
Shashi kala vyas
गुरूर में इंसान को कभी इंसान नहीं दिखता
गुरूर में इंसान को कभी इंसान नहीं दिखता
Ranjeet kumar patre
स्वार्थी आदमी
स्वार्थी आदमी
अनिल "आदर्श"
निर्णय
निर्णय
NAVNEET SINGH
सविनय निवेदन
सविनय निवेदन
कृष्णकांत गुर्जर
अपनों में कभी कोई दूरी नहीं होती।
अपनों में कभी कोई दूरी नहीं होती।
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
दोहे
दोहे
seema sharma
कल की भाग दौड़ में....!
कल की भाग दौड़ में....!
VEDANTA PATEL
चार कंधों पर जब, वे जान जा रहा था
चार कंधों पर जब, वे जान जा रहा था
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कान्हा
कान्हा
Ayushi Verma
4626.*पूर्णिका*
4626.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*यह समय के एक दिन, हाथों से मारा जाएगा( हिंदी गजल/गीतिका)*
*यह समय के एक दिन, हाथों से मारा जाएगा( हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
मेरी कविता
मेरी कविता
Jai Prakash Srivastav
बारिश पर तीन कविताएं /©मुसाफिर बैठा
बारिश पर तीन कविताएं /©मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
Loading...