खुद को बहला रहे हैं।
खुद के अहसांसों को,
खुद से छुपा रहे है!!
झूठा समझाके खुद को,
बहला रहे है!!
ये जो इश्क है,
होता है बड़ा ही बेरहम,
इसकी आग में हम,
खुद को जला रहे है!!!
दिल है बागी परिंदा,
ये उड़ना चाहता है,
फिर भी हम इसे,
ख्वाहिशों से दूर ले जा रहे है!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ