खुद को खुद से मिलाना है,
खुद को खुद से मिलाना है,
चलो एक गीत सुनाता हूँ,
जिसमें धुन की धार न हो,
सफर यदि लंबा भी हो,
शून्य से विस्तार न हो।
क्या मतलब यदि फूल खिले नहीं,
आज यह यदि चिंता न हो?
घर उपवन से सजे नहीं,
आज सांसारिक व्यथा न हो।
क्योंकि आज मिलने जाना है,
अब तक जो अंजाना था,
खुद को खुद से मिलाना है,
जिसे मुश्किल समझा था।
Bindesh kumar jha