खुदा
सर उठा कर चलेगा मगरूर तू कहलाएगा।
रहमदिल होगा अगर तो देवता बन जायेगा।।
बीमार दिल को हकीमी से फ़ायदा ना हुआ।
अमल तेरी दुआ होगी तो दवा बन जायेगा।
खोजा था जमाने में हुआ ना दस्तयाब मुझे।
जब उसे देखेगा दिल में तू वहींं पर पाएगा।।
अरदास है गुरु ग्रंथ का राम है कहीं कृष्ण है।
नजर आएगा खुदा सर जहां भी झुकाओगे।।
कोशिशें थी बहुत चिरागों को बुझाने के लिए।
शहर में हों नेक बंदे फानूस भी तन जायेगा।।
नफ़रत से हुआ क्या है हासिल तुझे आशिक।
बसर हो मोहब्बत में तो जहां जन्नत हो जाएगा।।
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उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)
9479611151