खुदा तू भी
खुदा तू भी, बातें तो बड़ी अच्छी करता है,
फिर भी मुझे मेरी क़िस्मत पर छोड़ देता है l
मुझको बचा लेगा, इस आस से आया था तेरे पास ,
मेरा फ़ैसला, तू मेरे दुश्मनों पर छोड़ देता है ।
एक सकूँ तलाशने आ गया था तेरे पास,
तू फिर दोबारा मुझे चौराहे पर छोड़ देता है l
कोई साथ नहीं देता पार दरिया करने तक ,
जो भी मिलता है, बीच मंझधार में छोड़ देता है ।
जो भी आया जिंदगी में ,तन्हाई बढ़ाकर गया
“सागरी” हर तजुर्बा नया ज़ख्म छोड़ देता है ।।
डा राजीव “सागरी “