Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Mar 2022 · 1 min read

खीज

खीज

ये कल का छोकरा क्या जाने साहित्य क्या होता है? यह मोबाइल के शक्रीन पर ही उंगली मार सकता है। यह चिंतन-मनन से कोसों दूर है। इधर-उधर से कॉपी कर लेता होगा। इस तरह से वरिष्ठ लेखकों द्वारा नवोदित महेश को नवाजा जा रहा था।
वे नवोदित महेश से कम पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने की व नई तकनीक से अनभिग होने की खीज मिटा रहे थे।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
164 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*समृद्ध भारत बनायें*
*समृद्ध भारत बनायें*
Poonam Matia
आदर्श
आदर्श
Bodhisatva kastooriya
1...
1...
Kumud Srivastava
"चंदा मामा, चंदा मामा"
राकेश चौरसिया
मन सोचता है...
मन सोचता है...
Harminder Kaur
चार लोग क्या कहेंगे?
चार लोग क्या कहेंगे?
करन ''केसरा''
नर से नर पिशाच की यात्रा
नर से नर पिशाच की यात्रा
Sanjay ' शून्य'
3420⚘ *पूर्णिका* ⚘
3420⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
भगवान श्री परशुराम जयंती
भगवान श्री परशुराम जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रामनवमी
रामनवमी
Ram Krishan Rastogi
हमारे जैसी दुनिया
हमारे जैसी दुनिया
Sangeeta Beniwal
दिल
दिल
Neeraj Agarwal
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जमाने से सुनते आये
जमाने से सुनते आये
ruby kumari
एक फूल....
एक फूल....
Awadhesh Kumar Singh
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कवि की लेखनी
कवि की लेखनी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मूर्ख जनता-धूर्त सरकार
मूर्ख जनता-धूर्त सरकार
Shekhar Chandra Mitra
तिरंगा
तिरंगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरा घर
मेरा घर
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
रहती है किसकी सदा, मरती मानव-देह (कुंडलिया)
रहती है किसकी सदा, मरती मानव-देह (कुंडलिया)
Ravi Prakash
फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में,
फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में,
Shreedhar
जीवन उद्देश्य
जीवन उद्देश्य
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
■ हिंदी सप्ताह के समापन पर ■
■ हिंदी सप्ताह के समापन पर ■
*Author प्रणय प्रभात*
बड़े हौसले से है परवाज करता,
बड़े हौसले से है परवाज करता,
Satish Srijan
बारिश की संध्या
बारिश की संध्या
महेश चन्द्र त्रिपाठी
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
अपना सफ़र है
अपना सफ़र है
Surinder blackpen
सीख
सीख
Dr.Pratibha Prakash
Loading...