*खींचो अपने हाथ से, अपनी नई लकीर (नौ दोहे)*
खींचो अपने हाथ से, अपनी नई लकीर (नौ दोहे)
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1
खींचो अपने हाथ से, अपनी नई लकीर
बनो लकीरों के नहीं, जग में कभी फकीर
2
चलने वाले चल पड़े, कहकर राधे-श्याम
लक्ष्य मिलेगा एक दिन, चले अगर अविराम
3
निद्रा करते ही रहे, बीता दिन अब शाम
जागो छोड़ो हो चुका, काफी अब आराम
4
भोर हुई तो जागना, हुई रात्रि विश्राम
नियत चक्र यह ही भला, यह ही है अभिराम
5
जग होता है बावरा, करता सिर्फ सवाल
सुनो सभी की गौर से, करो न ज्यादा ख्याल
6
निष्क्रियता सबसे बुरी, करो मंद शुरुआत
बिगड़ेगी सौ बार फिर, बन जाएगी बात
7
पक्षी उड़ता डाल से, छूता है आकाश
घुटनों के बल भी चले, हो मत मनुज निराश
8
एक अकेला चल पड़ा, लेकर झंडा हाथ
सच्चा है यदि व्यक्ति तो, होगा जग कल साथ
9
जब भी मिलिए कीजिए, नमस्कार जयराम
व्हाट्सएप पर कब भला, इन चीजों का काम
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451