खास हो तुम ।।
ये शब्द सिर्फ मेहनत और कर्म को ही नहीं झुठलाता
बल्कि उस समय का अपमान है
जो मैंने किताबों को दिया ।।
मेरा महज खूबसूरत ए बचपन -२
जकात हो गया ख्वाबों में ।।
‘मोहब्बत ए इश्क ‘ की उम्र में किताबों से प्रेम किया-२
हर नशा, हर खुशी दफन हो गई किताबों में ।।