खालीपन – क्या करूँ ?
खालीपन – क्या करूँ ?
विधा – स्वच्छंद – अतुकांत कविता
लेखक – डॉ अरुण कुमार शास्त्री – दिल्ली
क्या करूँ कैसे भरूँ ?, जो खालीपन तुम दे गये ।
नींद चुराई , चैन चुराया , और बैचेनी दे गये ।
प्यार किया था , या था नाटक , सूनी रातें दे गये ।
दूर हुए हो जबसे साजन , एक बेताबी दे गए ।
क्या करूँ कैसे भरूँ ?, जो खालीपन तुम दे गये ।
कह के जाते , कोई शिकायत , शिकवा करते , मुझसे लड़ते ।
कमी रही जो मेरे नेह में , हम भरसक उसको पूरा करते ।
लेकिन तुम तो निष्ठुर निकले , का – पुरुष से भी गये गुजरे निकले ।
बिना बजह के हम से रूठे , बिना गलती के छोड़ गए ।
दोष दिए बिन , त्याग दिया , हाय राम तुम तो खोकले निकले ।
तोड़ भरोसा मेरे दिल का , अनजानों से चले गये ,
दर्द दे गये पीर दे गये , ठीक हो सके न ऐसा गहरा हम को जख्म दे गये ।
नींद चुराई , चैन चुराया , और बैचेनी दे गये ,
दूर हुए हो जबसे साजन , एक बेताबी दे गए ।
तबसे ही खालीपन दे गये । प्यार किया था , या था नाटक ,
सूनी मुझको रात दे गये ।
क्या करूँ कैसे भरूँ ?, जो खालीपन तुम दे गये ।
अब न होगा प्यार किसी से । कोई न होगा साथी मेरा ।
टूटे दिल से प्यार करूँ क्या ? अब ऐसा व्यवहार न होगा ।
सामाजिक व्यवहार न होगा , मुझसे लोकाचार न होगा ।
मैत्री का हाँथ बढ़ेगा जो भी अबसे , बिल्कुल भी स्वीकार न होगा ।
खालीपन ही अब तो मेरा , सच्चा मैत्रिक आचरण होगा ।
दर्द रहेगा हरदम दिल में , पर आँखों से प्रगट न होगा ।
जिंदा हूँ पर जीवित जैसा , जीवन जीना , मुझमें यारा ,
किंचित भी आसान न होगा ।
क्या करूँ कैसे भरूँ ?, जो खालीपन तुम दे गये ।
प्यार किया था , या था नाटक , सूनी रातें दे गये ।
दूर हुए हो जबसे साजन , एक बेताबी दे गए ।