खामोश रातों की
ख़ामोश रातों की
तन्हाई देखी ।
तन्हा बहुत खुद की
परछाई देखी ।।
शिकायत लबों पर
आ न सकी फिर ।
मोहब्बत की होती
रुसवाई देखी ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
ख़ामोश रातों की
तन्हाई देखी ।
तन्हा बहुत खुद की
परछाई देखी ।।
शिकायत लबों पर
आ न सकी फिर ।
मोहब्बत की होती
रुसवाई देखी ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद