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28 Jan 2024 · 1 min read

फुरसत

और तब जब शब्द चुनने लग जाएं खामोशियां
और पसरने लगे सन्नाटें
और तब जब सफेद मखमली चादर में भी न मन को सुकून आए
ठंडी हवा के झोंके भी जब उस आग को न बुझा पाएं
और तब जब गहरी झील का संगीत शोर बन जाए
तब ढूंढना आस पास कुछ अपनों की आवाजों को
और ढूंढना कुछ सपनों के पूरी होने की आस में टूटती समय की सांसों को
और तब ढूंढना
उस
बूढ़े होते समय के आसमानी चेहरे पे छाई हुई काली घटाओं को
और बरसना जी भर के तब क्योंकि फिर न मिले तुझे फुरसत शायद

Language: Hindi
77 Views

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