खामोशियाँ मेरी
कहती हैं बहुत कुछ ख़ामोशियाँ मेरी ।
उतर कर तन्हाइयों में ठहर गई क़श्ती मेरी ।
न तूफ़ां आए ……… न समन्दर उबला ,
फिर भी तूफानों सी निशानी कहानी मेरी ।
….विवेक दुबे….©
कहती हैं बहुत कुछ ख़ामोशियाँ मेरी ।
उतर कर तन्हाइयों में ठहर गई क़श्ती मेरी ।
न तूफ़ां आए ……… न समन्दर उबला ,
फिर भी तूफानों सी निशानी कहानी मेरी ।
….विवेक दुबे….©