खान मनजीत की कविता
1
घिरे हुए
आज के समय में
हम सब चारों ओर से
घिरे पड़े हैं
कोई बरोजगारी में घिरा
कोई ज्यादा दौलत से घिरा
कोई शर्म के दामन में घिरा
कोई गरीबी की मार में घिरा
कोई दो वक्त रोटी की मांग में घिरा
कोई बच्चों की पढ़ाई की मार में घिरा
कोई मजबूरी की चाहत की मार में घिरा
हर कोई किसी न किसी रूप में घिरा हुआ है
ये घिरतेपन से कब आजाद होगा ।
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड तह गोहाना सोनीपत
2
हर रोज़
हर रोज़ इस दुनिया में
नये नये खेल होगे
कोई लूट रहा है
कोई लुट रहा है
काम धंधे में ध्यान नहीं
कर के खाणा नही जी
सारे बन गए चोर
काम नहीं कोई और
बहन बेटियों की आबरू उतारे
वो भी जी से दुनिया में
जिस बेटी की आबरू उतरी
वो मरे सारे के सारे
ये कैसा न्याय है
आप बताओ सारे
आप बताओ….।
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड तह गोहाना जिला सोनीपत हरियाणा
3
भगवान,
ज्यादा बारिश न करें
आप अनाज के भण्डार
खीर पुडी की चटकार
उसके बाद ऐसा न करें
ज्यादा बारिश न करें
सोच
सभी घरों की छतें
निश्चित नहीं
कोई टपकती
कोई खिसकती
किसी की फसल खराब
कोई फसल सूखी
बहुत है
जब आप बारिश ज्यादा करते हैं
मेरी माँ कैसे रोटी सेंके
जलाऊ लकड़ी गीली बहुत है
और कच्चे शेडों से पानी रीसना
बहनों के भाग्य के दिन
पर मेढ़क टर टरा रहे हैं
बिना फसल कैसी राखी
और छोड़ो मोर की आवाज
कोयल की कू कू
हमारी चीख निकल जाती है
दया करना
हर जगह एक जैसा ना करे
जलभराव को मरने दें
क्या आप जानते हैं
पत्थर पर पक्की ईंटें
खरीदारी करते समय
वे अंदर से बहुत खराबी करती हैं
और उसी दिन…
उसी दिन
हमारा घर बनना शुरू होता है
एक भूखा गिद्ध
जब कभी ख़्वाबों का इन्द्रधनुष
मेंरे ऊपर गिर गया
हम आपको जरूर बताएंगे
एक गरीब और अमीर
में क्या फ़र्क है
अभी तुम
ज्यादा बारिश न करें
ज्यादा गरीबी की चिंता न करें
हम खुद देखभाल कर लेंगे
बस हमें जीने दें…..।
©
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ तहसील गोहाना सोनीपत हरियाणा