खाते भारत का शाबाशी औरों को।
उन गद्दारों को समर्पित, जो देश में रहते, खाते, नाम कमाते, पर मौके बे मोके देश खिलाफ जहर ही उगलते है। सच है-
इनका कोई देश से नाता नहीं।
खानदानी जो असर जाता नहीं।…….✍️प्रेमी
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खाते भारत का, शाबाशी औरों को।
शर्मा कहाँ आती, ऐसे मक्कारों को।
जिस थाली में खाते,उसमें छेद करें।
नमक हरामी भाती, इन गद्दारों को।
……..✍️प्रेमी