खातिरदारि मे
खाक़ से पूछा है खाक़सार का पता
क्या कहूँ मैं ए दिल अब तू ही बता ।
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बड़े खुश हो अपनी खुद्दारी पे
बन के जमूरा मन के मदारी के ।
रिश्वत,सिफारिशो जी हुजूरी से
लग गया वो नौकरी सरकारी पे।
किससे,कितना,औ कब है लेना
सारा दारोमदार है अधिकारी पे ।
तू तो कहता था कि सब ठिक है
यहाँ लोग उतरे हैं मारा-मारी पे ।
बात मत करना ,उस अजय की
जिंदा है मौत की खातिरदारि मे ।
-अजय प्रसाद