खाकी से डर है
चाटुकारिता के दौर में ,अब बेबाकी से डर है।
शराब से ज्यादा अब ,हर एक साकी से डर है।
जांच के नाम पर कब कत्ल हो जाये किसे पता,
ख़ाकी अब ख़ाक हो रही है , ख़ाकी से डर है।
-सिद्धार्थ
चाटुकारिता के दौर में ,अब बेबाकी से डर है।
शराब से ज्यादा अब ,हर एक साकी से डर है।
जांच के नाम पर कब कत्ल हो जाये किसे पता,
ख़ाकी अब ख़ाक हो रही है , ख़ाकी से डर है।
-सिद्धार्थ