ख़ुद लड़िए, ख़ुद जीतिए, ख़ुद लड़िए, ख़ुद जीतिए, इस में है पुरुषार्थ। जंग अगर हो स्वयं से, क्या परहित, क्या स्वार्थ? ★प्रणय प्रभात★