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3 Jul 2023 · 1 min read

ख़ामोशी मेरी

ख़ामोशी मेरी
कभी मौन नहीं रहतीं
ये दहाड़ती हैं मुझ में
एक शोर बन कर.

यादें तेरी,
हलचल सी हैं ज्यों
लहरे मचलती है
नदी के सीने पर.

अहसास तेरा
छू लिया करता है मुझे
कुछ इस तरह
झोंका हवा का
छू ले फ़ूलों को
पेड़ की शाख पर!!

हिमांशु Kulshreshtha

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