ख़ामोशी में लफ़्ज़ हैं, ख़ामोशी में लफ़्ज़ हैं, लफ़्ज़ों में है मौन। एक पहेली ज़िन्दगी, उसको बूझे कौन?? ■प्रणय प्रभात■