Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2024 · 1 min read

ख़त्म हुआ जो

ख़त्म हुआ जो तमाशा तो सामने आया ।
कि हम किसी की ज़रूरतों में नहीं ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
4 Likes · 190 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

किन्नर(कुछ दोहे)
किन्नर(कुछ दोहे)
Dr Archana Gupta
चिरंतन सत्य
चिरंतन सत्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
"संघर्ष पथ पर डटे रहो"
Ajit Kumar "Karn"
Dedicated to all those who live outside their home to earn t
Dedicated to all those who live outside their home to earn t
पूर्वार्थ
बारिश की मस्ती
बारिश की मस्ती
Shaily
कोहराम मचा सकते हैं
कोहराम मचा सकते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
तन पर हल्की  सी धुल लग जाए,
तन पर हल्की सी धुल लग जाए,
Shutisha Rajput
बधाई
बधाई
Shweta Soni
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
लक्ष्य प्राप्त होता सदा
लक्ष्य प्राप्त होता सदा
surenderpal vaidya
तेरी खुशी
तेरी खुशी
Dr fauzia Naseem shad
ज़ेहन से
ज़ेहन से
हिमांशु Kulshrestha
सज़ा-ए-मौत भी यूं मिल जाती है मुझे,
सज़ा-ए-मौत भी यूं मिल जाती है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किस-किस को समझाओगे
किस-किस को समझाओगे
शिव प्रताप लोधी
ऐ जिन्दगी तूं और कितना इम्तिहान लेंगी
ऐ जिन्दगी तूं और कितना इम्तिहान लेंगी
Keshav kishor Kumar
थिक मिथिला के यैह अभिधान,
थिक मिथिला के यैह अभिधान,
उमा झा
# चांदनी#
# चांदनी#
Madhavi Srivastava
"Dwelling In The Night"
Saransh Singh 'Priyam'
सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आप
सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आप
ललकार भारद्वाज
लोग मेरे  इरादों को नहीं पहचान पाते।
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
Ashwini sharma
क्या कहूं उस नियति को
क्या कहूं उस नियति को
Sonam Puneet Dubey
रक्त लिप्त कुर्बानियां,
रक्त लिप्त कुर्बानियां,
sushil sarna
"आज की रात "
Pushpraj Anant
पुरानी पेंशन पर सवाल
पुरानी पेंशन पर सवाल
अवध किशोर 'अवधू'
हरियाली माया
हरियाली माया
Anant Yadav
" समय "
Dr. Kishan tandon kranti
*रक्षाबंधन का अर्थ यही, हर नारी बहन हमारी है (राधेश्यामी छंद
*रक्षाबंधन का अर्थ यही, हर नारी बहन हमारी है (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
चाकरी (मैथिली हाइकु)
चाकरी (मैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तेज धूप में वो जैसे पेड़ की शीतल छाँव है,
तेज धूप में वो जैसे पेड़ की शीतल छाँव है,
Ranjeet kumar patre
3592.💐 *पूर्णिका* 💐
3592.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...