खरी खरी सी बात
******खरी खरी सी बात (दोहे)******
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1
दिन तो सारा कट चले, कैसे कटती रात।
जो होना होगा वही,कहने की क्या बात।।
2
धर्म – कर्म भारी हुआ,हारी मानव जात।
भाई-भाई शत्रु हुआ,किसको दे हम मात।
3
चढ़ा दिवस भारी पड़े,हफ्ते में दिन सात।
पहर पहर मुश्किल कटे,दे ना कोई साथ।।
4
मनसीरत दिल से कहे,खरी खरी सी बात।
बंद मुट्ठी मंद रखे , खोलो दोनों हाथ।।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)