” खरीदार “
आज मीरा और सुजीत की बड़ी बेटी को देखने लड़के वाले आने वाले थे , छोटी बेटी मीरा के साथ काम में मदद या यूँ कहें की ज्यादा काम वही कर रही थी । छोटी गुणों की खान थी रंग गेहुँआ तीखे नाक नक्श तो बड़ी खूब गोरी सुंदर पढ़ने – लिखने में तेज और साथ में बेहद नाजुक भी ।
समय से लड़के वाले पधार गये खाना – पीना , लड़के का बखान । देखने आये थे बड़ी को लेकिन पूरी दिलचस्पी के साथ छोटी का भी बायोडाटा ले लिया फिर बोले…आपकी दोनों लड़कियाँ अच्छी हैं लेकिन हमें सुंदरता में बड़ी जैसी और हुनर में छोटी जैसी लड़की चाहिए । सुजीत कुछ बोले इससे पहले ही मीरा झट हाथ जोड़ खड़ी हो गई और बोली ” क्षमा चाहती हूँ ये घर है सब्जी मार्केट नही ” ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 06/06/2021 )