खरा इंसान
लघुकथा
खरा इंसान
“दूधवाले भैयाजी, क्या आप हमारे यहाँ भी प्रतिदिन एक लीटर दूध दे सकते हैं ?” पड़ोसी के घर में प्रतिदिन दूध देने वाले से वर्मा जी ने पूछा।
“दे सकता हूँ साहब, परंतु आज से नहीं, कल से।” दूधवाले ने कहा।
“भैयाजी, आज कम से कम आधा लीटर तो दे ही सकते हैं न ?” वर्मा जी ने पूछा।
“नहीं साहब, आज एक्स्ट्रा दूध नहीं है मेरे पास।” दूधवाले ने बताया।
“ठीक है भैया। कल से तो दोगे न ?” वर्माजी ने पूछा।
“हाँ साहब। कल से रेगुलर दे सकता हूँ।” दूधवाले ने बताया।
दूधवाले के जाने के बाद वर्मा जी की श्रीमती जी बोलीं, “ये घमंडी आदमी लगता है। देखा नहीं आपने कितना सारा दूध रखा था, लेकिन हमें आधा लीटर दूध भी नहीं दे सका।”
“मैडम जी, ये दूधवाला अव्वल दर्जे का ईमानदार आदमी है। वह चाहता, तो हमें एक लीटर दूध देकर बाकी लोगों के लिए शेष दूध में उतना ही पानी मिलाकर मैनेज कर सकता था, परंतु उसने वैसा नहीं किया। जाहिर है वह खरा इंसान है, मिलावटखोर नहीं।” वर्मा जी ने श्रीमती जी से कहा।
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़