खयालों ख्वाब पर कब्जा मुझे अच्छा नहीं लगता
ख़यालो ख्वाब पर कब्ज़ा मुझे अच्छा नहीं लगता।
मुखौटे में छुपा चेहरा मुझे अच्छा नहीं लगता।
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मुहब्बत में कनीज़¹ और बादशाहत का दिली रिश्ता।
कभी भी इश्क़ में शजरा² मुझे अच्छा नहीं लगता।
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मुझे ख़्वाबों में आने से कहां तुम रोक सकते हो।
ख़यालों पर कोई पहरा मुझे अच्छा नहीं लगता।
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दिलों में नुक्स,ज़हनों में ज़हर,बातों में नफ़रत हो।
दिलों पर ज़ख़्म दे गहरा,मुझे अच्छा नही लगता।
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“सगी़र” हाथों में दौलत हो,सभी को बांट देता मैं।
कोई गु़र्बत³ में हो रुसवा⁴, मुझे अच्छा नहीं लगता।
शब्दार्थ
1 सेविका, 2 वंश वृक्ष 3 गरीबी 4 शर्मिंदा