खत और समंवय
अतीत के वे किस्से, जिनसे हट सके पर्दे,
ख्वाब नहीं वो हकीकत थे, गुलामी जो दे,
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भूखे को भोजन नहीं,प्यास लगे पानी न दे,
मजदूरी बंधवा न करें तो पीठ पर कोड़े दे .
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हुनर को ऐसा सिला , नाम जिसको अछूत दे,
बना ली धारणा ऐसी, श्रेष्ठ वे ब्रह्मा जो काम दे,
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रचना रचयिता प्रकृति, बौद्ध दर्शन के प्रसंग ,
समण संस्कृति मूल है, अवतरित वमन संग .
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अभिलेख शिल्प कला लिखे गये शिलालेख ,
वृषभ, चहुंमुख बैठे शेर, नाग, नागरी उल्लेख.
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डच आये, हूण गये, तुर्क रहे, गरजे गोरे अंग्रेज,
पुरातत्व अवशेष गवाह है, घटाया गया कवरेज.
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~ खालेटिया ~