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8 Aug 2023 · 1 min read

खत उसनें खोला भी नहीं

खत उसनें खोला भी नहीं
और सब पढ़ लिया
जो मैंने कहा भी नहीं
सब वो उसनें सुन लिया
दिल पर अपनें रख के हाथ
धडकनें मेरी सुनता रहा
सपनें मैं देखती रही
और वो बूनता रहा
भीड़ में हजारों की
वो मुझें पहचान लेता
मेरी आँखों से सब
हाल मेरे वो जान लेता
उड़ती जब भी आजा़द गगन में
और श्वासों की डोर से वो मुझें बांध लेता।

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