खतौनी
खतौनी लिए बैठा है चौकीदार,
नहीं करता किसी पर ऐतबार..
दिल चाहे जो वो करते आया.
कालेधन पर नहीं,
वह जनता की जेब पर वार करता है.
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मौके नहीं छोडता कोई, वाही वाही बटोरते,
वह *आपदा में अवसर की *बातें करता है.
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कहने को तो देश बहुत तरक्की कर रहा है,
गरीबी, भुखमरी, जुल्म मे पडोसी देशों को
पीछे छोड रहा है,