Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2021 · 1 min read

*खण्डहर-!

क्या देखते हो इस खण्डहर को
जो आज ये एक कहानी बनकर रह गया
जो अपना बीता हुआ कल फिर से ढूंढ रहा है।
ये विछिप्त प्राचीरें जिसमें बारीकता से हाथों द्वारा गढ़ी गई शिल्पकारी और राखी चूना से किसी राजगीर द्वारा किया गया निर्माण किसी जमाने में ये भी अपनी सुन्दरता की मोहकता का पर्याय बना होगा।
ये विछिप्त सन्नाटे से छाया हुआ आंँगन
और ये झिल्लिका की सीं सीं करती हुई आवाजें
किसी विभित्सिता से कम नहीं है।
कभी इसमें भी नूपरों की झनक
और किलकारों से ये गूंजता हुआ आँगन
कितना अच्छा लगता होगा।
और समय समय पर ढोलक की थापें
और मंजीरों की झन्कार और गीत संगीत
से ये गूंजता हुआ आँगन कितना अच्छा लगता होगा।
पर आज ये सन्नाटे से पसरा हुआ आंगन
ये अपना बीता हुआ कल को फिर से ढूंढ रहा है।
ये लम्बी लम्बी सफीलें और दालानें
आज भी मानो किसी बैठक का इन्तजार कर रही हैं
ये दालान के किनारे बने अस्तबल
किसी अस्व पे सवार होते हुए किसी रइसियत
या गुड़ सवार को फिर से देखना चाहता है
क्या देखते हो इस खण्डहर को
जो आज भी अपना बीता हुआ कल
फिर से ढूंढ रहा है।

(शरद कुमार पाठक)
डिस्टिक( हरदोई) उत्तर प्रदेश

2 Likes · 2 Comments · 334 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

राम आगमन
राम आगमन
Sudhir srivastava
चाहतें मन में
चाहतें मन में
surenderpal vaidya
*फ़र्ज*
*फ़र्ज*
Harminder Kaur
ग़ज़ल - याद आयेगा हमें .....
ग़ज़ल - याद आयेगा हमें .....
sushil sarna
तस्वीर
तस्वीर
ओनिका सेतिया 'अनु '
मनुष्य का उद्देश्य केवल मृत्यु होती हैं
मनुष्य का उद्देश्य केवल मृत्यु होती हैं
शक्ति राव मणि
आस भरी आँखें , रोज की तरह ही
आस भरी आँखें , रोज की तरह ही
Atul "Krishn"
जड़ों से कटना
जड़ों से कटना
मधुसूदन गौतम
महिमां मरूधर री
महिमां मरूधर री
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
भारत का लाल
भारत का लाल
Aman Sinha
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा
Buddha Prakash
न जाने शोख हवाओं ने कैसी
न जाने शोख हवाओं ने कैसी
Anil Mishra Prahari
आज के जमाने में
आज के जमाने में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नेताओं ने छेड़ दिया है,बही पुराना राग
नेताओं ने छेड़ दिया है,बही पुराना राग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
यूँ तो कभी
यूँ तो कभी
हिमांशु Kulshrestha
ज्ञान-दीपक
ज्ञान-दीपक
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
सच्ची कविता
सच्ची कविता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
लगे रहो भक्ति में बाबा श्याम बुलाएंगे【Bhajan】
लगे रहो भक्ति में बाबा श्याम बुलाएंगे【Bhajan】
Khaimsingh Saini
पवित्रता की प्रतिमूर्ति : सैनिक शिवराज बहादुर सक्सेना*
पवित्रता की प्रतिमूर्ति : सैनिक शिवराज बहादुर सक्सेना*
Ravi Prakash
बचपन के वो दिन
बचपन के वो दिन
प्रदीप कुमार गुप्ता
तुलना से इंकार करना
तुलना से इंकार करना
Dr fauzia Naseem shad
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
Sonam Puneet Dubey
लेख
लेख
Praveen Sain
2822. *पूर्णिका*
2822. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आईना बोला मुझसे
आईना बोला मुझसे
Kanchan Advaita
हुनर
हुनर
Shutisha Rajput
हौसले से जग जीतता रहा
हौसले से जग जीतता रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कुछ लोग इस ज़मीन पे
कुछ लोग इस ज़मीन पे
Shivkumar Bilagrami
"अनन्त "
Dr. Kishan tandon kranti
"" *मैंने सोचा इश्क करूँ* ""
सुनीलानंद महंत
Loading...