खंजर
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी में अमूमन अधिकांशतः सवाल ऐसे होते हैं जिनके जवाब को हल कर पाना किसी मशीन /इंसान के बस में नहीं बल्कि केवल उस ईश्वर के बस में होते हैं और कई बार कुछ ऐसी पीड़ाओं -तकलीफों -दर्द का हृदयविदारक शोर होता है जिसे कोई अपना ही नहीं सुन पाता तो गैर की तो बात ही क्या ..हाँ लेकिन वो सुनता है -समझता है और उस पर सही वक़्त पर मरहम भी लगाता है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की यहाँ बातों को कोई नहीं मानना चाहता ,जब मानना ही नहीं तो अमल तो दूर की बात है लेकिन बात का बुरा मानने के लिए सब तैयार बैठे रहते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कई इंसान इस जीवन में सुर्ख नरम पत्तों की शाखों की तरह होते हैं पर वक़्त -हालात -गर्दिशें -अपने -पराये इतना छील देते हैं उस इंसानेरूपी शाख को की एक समय के बाद वो खंजर बन जाता है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की औरत पाँव की जूती है उन मर्दों के लिए जो खुद को पाँव समझते हैं ,मान सम्मान के नाम पर दहेज़ लेने वालों के लिए औरत ATM है उन मर्दों के लिए जो हकीकत में नामर्द होते हुए मर्दानगी का दावा करते हैं और जो मर्द वाकई दिल दिमाग आचरण व्यवहार के राजा होते हैं उनके लिए औरत सिर का ताज होती है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान