Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2023 · 1 min read

क्षणिका सी कविताएँ

(1)
अहम्
अहंकार अर्थी शब्द से
‘अ’ और ‘ म’ का हलन्त हटाकर
कहो पास आकर
वह शब्द
जो मैं सुनना चाहता हूँ
और तुम कहना नहीं चाहते ।

(2)
कल रात सपने में
देखा मैंने
उसका ढाँचा
मैंने ओंठ सी लिये
यह सोचकर कि कहीं
निकल न जाये मुँह से
प्रिये ….।

(3)
हर सजग व्यक्तित्व
ढ़ूढ़ता है उसको
जो कहे कुछ करो
कुछ करके मरो ।

178 Views
Books from Laxmi Narayan Gupta
View all

You may also like these posts

गंधारी
गंधारी
Shashi Mahajan
किरीट सवैया (शान्त रस)
किरीट सवैया (शान्त रस)
संजीव शुक्ल 'सचिन'
खुदकुशी..!
खुदकुशी..!
Prabhudayal Raniwal
तुम ही मेरी जाँ हो
तुम ही मेरी जाँ हो
SURYA PRAKASH SHARMA
मन के विकार साफ कर मनाओ दिवाली।
मन के विकार साफ कर मनाओ दिवाली।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हो गया जो दीदार तेरा, अब क्या चाहे यह दिल मेरा...!!!
हो गया जो दीदार तेरा, अब क्या चाहे यह दिल मेरा...!!!
AVINASH (Avi...) MEHRA
तुझ से बस तेरा ही पता चाहे
तुझ से बस तेरा ही पता चाहे
Dr fauzia Naseem shad
प्रकृति - विकास (कविता) 11.06 .19 kaweeshwar
प्रकृति - विकास (कविता) 11.06 .19 kaweeshwar
jayanth kaweeshwar
नई शिक्षा
नई शिक्षा
अंजनीत निज्जर
तू डरकर इस समाज से
तू डरकर इस समाज से
gurudeenverma198
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
*मंडलीय गजेटियर में रामपुर के शीर्ष व्यक्तित्वों का व
*मंडलीय गजेटियर में रामपुर के शीर्ष व्यक्तित्वों का व
Ravi Prakash
मुझे ज़िंदगी में उन लफ्जों ने मारा जिसमें मैं रत था।
मुझे ज़िंदगी में उन लफ्जों ने मारा जिसमें मैं रत था।
Rj Anand Prajapati
अंतिम क्षणों का संदेश
अंतिम क्षणों का संदेश
पूर्वार्थ
सूख गया अब
सूख गया अब
हिमांशु Kulshrestha
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
Dr. Man Mohan Krishna
*वो मेरी मांँ है*
*वो मेरी मांँ है*
Dushyant Kumar
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
कवि रमेशराज
आजादी दिवस
आजादी दिवस
लक्ष्मी सिंह
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
Suryakant Dwivedi
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
manorath maharaj
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
डॉ. दीपक बवेजा
हमदर्द तुम्हारा
हमदर्द तुम्हारा
ललकार भारद्वाज
बात बढ़ाना ठीक नहीं
बात बढ़ाना ठीक नहीं
SATPAL CHAUHAN
कुछ ख़ुशनसीब ऐसे हैं जो आगे किस्मत से बढ़ गए!
कुछ ख़ुशनसीब ऐसे हैं जो आगे किस्मत से बढ़ गए!
Ajit Kumar "Karn"
प्रीत निभाना
प्रीत निभाना
Pratibha Pandey
#सामयिक_व्यंग्य...
#सामयिक_व्यंग्य...
*प्रणय*
জয় শিবের জয়
জয় শিবের জয়
Arghyadeep Chakraborty
2824. *पूर्णिका*
2824. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ आप भी तो बोलिए।
कुछ आप भी तो बोलिए।
Priya princess panwar
Loading...