क्षणिका सी कविताएँ
(1)
अहम्
अहंकार अर्थी शब्द से
‘अ’ और ‘ म’ का हलन्त हटाकर
कहो पास आकर
वह शब्द
जो मैं सुनना चाहता हूँ
और तुम कहना नहीं चाहते ।
(2)
कल रात सपने में
देखा मैंने
उसका ढाँचा
मैंने ओंठ सी लिये
यह सोचकर कि कहीं
निकल न जाये मुँह से
प्रिये ….।
(3)
हर सजग व्यक्तित्व
ढ़ूढ़ता है उसको
जो कहे कुछ करो
कुछ करके मरो ।