Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2021 · 1 min read

क्षणिकाएं

1.

वसुंधरा , जब कंपन त्यागने लगे
आकाश , जब उल्का वर्षा त्यागने लगे

सुनामी , जब अपना क्रोध त्यागने लगे
समझो जीवन, जीवन सा लगने लगा है

2.

पर्वत से अचल , जब विचार हो जायेंगे
प्रकृति स्नेह से, जब हम भर जायेंगे

भाग्य को जब हम , कर्म प्रधान बनायेंगे
तब हम परमेश्वर को , अपने करीब पायेंगे

Language: Hindi
1 Like · 174 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
ऐसे नाराज़ अगर, होने लगोगे तुम हमसे
ऐसे नाराज़ अगर, होने लगोगे तुम हमसे
gurudeenverma198
उत्साह का नव प्रवाह
उत्साह का नव प्रवाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Global climatic change and it's impact on Human life
Global climatic change and it's impact on Human life
Shyam Sundar Subramanian
अपनी गलती से कुछ नहीं सीखना
अपनी गलती से कुछ नहीं सीखना
Paras Nath Jha
जला दो दीपक कर दो रौशनी
जला दो दीपक कर दो रौशनी
Sandeep Kumar
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
Sukoon
मेरी-तेरी पाती
मेरी-तेरी पाती
Ravi Ghayal
बरसातें सबसे बुरीं (कुंडलिया )
बरसातें सबसे बुरीं (कुंडलिया )
Ravi Prakash
जो बीत गया उसकी ना तू फिक्र कर
जो बीत गया उसकी ना तू फिक्र कर
Harminder Kaur
"खुश रहिए"
Dr. Kishan tandon kranti
Dont worry
Dont worry
*Author प्रणय प्रभात*
शराबी
शराबी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
देश के वासी हैं
देश के वासी हैं
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
वोट का लालच
वोट का लालच
Raju Gajbhiye
वो मुझे
वो मुझे "चिराग़" की ख़ैरात" दे रहा है
Dr Tabassum Jahan
पहले कविता जीती है
पहले कविता जीती है
Niki pushkar
गैर का होकर जिया
गैर का होकर जिया
Dr. Sunita Singh
रोज हमको सताना गलत बात है
रोज हमको सताना गलत बात है
कृष्णकांत गुर्जर
उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
डॉ.सीमा अग्रवाल
अगर आप समय के अनुसार नही चलकर शिक्षा को अपना मूल उद्देश्य नह
अगर आप समय के अनुसार नही चलकर शिक्षा को अपना मूल उद्देश्य नह
Shashi Dhar Kumar
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
पूर्वार्थ
आप जब खुद को
आप जब खुद को
Dr fauzia Naseem shad
जब हमें तुमसे मोहब्बत ही नहीं है,
जब हमें तुमसे मोहब्बत ही नहीं है,
Dr. Man Mohan Krishna
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*लम्हे* ( 24 of 25)
*लम्हे* ( 24 of 25)
Kshma Urmila
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
किसी बच्चे की हँसी देखकर
किसी बच्चे की हँसी देखकर
ruby kumari
वातावरण चितचोर
वातावरण चितचोर
surenderpal vaidya
मुझ पर इल्जाम लगा सकते हो .... तो लगा लो
मुझ पर इल्जाम लगा सकते हो .... तो लगा लो
हरवंश हृदय
Loading...