क्षणिकाएं
1.
फूलों की खुशबू से , खिलता है सबका जीवन
फिर भी साखों से फूल, क्यों तोड़ते हैं लोग
2.
काम की कुंठा ने , लोगों को किया है पथभ्रष्ट
कलियुग को सच सिद्ध , करने लगे हैं लोग
1.
फूलों की खुशबू से , खिलता है सबका जीवन
फिर भी साखों से फूल, क्यों तोड़ते हैं लोग
2.
काम की कुंठा ने , लोगों को किया है पथभ्रष्ट
कलियुग को सच सिद्ध , करने लगे हैं लोग