क्रोध कभी मत करना बंदे
गीत – क्रोध कभी मत करना बंदे
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प्रेम सुधा बरसाना जग में,
यही जगत का तारण है।
क्रोध कभी मत करना बंदे,
यही पतन का कारण है।
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जाति-पाति के भेदभाव को,
हमको आज मिटाना है।
मानव-मानव एक जगत में,
सबको यही बताना है।
रहे अशिक्षा दूर, ज्ञान का,
दीपक एक जलाना है।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
सबको गले लगाना है।
पुण्य डगर चलकर करना अब,
धैर्य हमें नित धारण है।
क्रोध कभी मत करना बंदे,
यही पतन का कारण है।
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स्वरचित©®
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)